दोस्त

दोस्त

तू हमेशा मेरे साथ रहा,
कभी आवारा कभी बंजारा !
तू था तब मिला , चंद लम्हे साथ जीने को,
कुछ कहानिया सुनने सुनाने को !
कहाँ पता था तब , की अपने भी अफ़साने होंगे,
कुछ सालो बाद उनको भी दोहराने होंगे !!
बचपन की लड़खपन में, तू हमेश मेरे साथ रहा !!
हर शोर-गुल , शैतानी, में तेरा पूरा सहयोग मिला!
कभी तूने मुझको सताया, कभी औरों के साथ मिल कर उल्लू बनाया ,
कभी खफा हुआ तू , हुई कई लड़ाई ,
मगर मेरी एक पुकार पर, तूने भी  दौड़ लगाई !
तू ही मेरे लिए सबसे नालायक , चतुर , चालक था,
तू मेरे लिए मासूम , हमदर्द और सहारा था !!
धुप छाव सी अपनी दोस्ती बड़ती रही, कई खीसे अनजाने में गढ़ती रही!
वकत गुज़रता रहा  और हम अचानक दो राहें पर आ खड़े हुए ,
इस  मोड़ पर आकर , जब अपनी राहें बिछर गई !
कुछ गम तो था सिनेमे, मगर दिल उमंग भी था !!
कुछ कर गुजरने का जिन्दगी में, अपना मुकाम पाने का, एक का तरंग भी था!
वक़्त बदलता गया और सभी वादे धूमिल हो गये,
यारी पीछे रह गयी और यार आगे निकल गये !!
कई सालो बाद , जब खुद को बेबस और भीड़ में अकेला पाया!
तब दिल ने तेरा नाम दोहराया,
वो दोस्त जो मेरा हमराही था, हमदर्द और साथी था!
जिसने अनजाने में, बेशर्त ही बाहें थामी थी !
जिसकी एक झलक ही कभी काफी थी!!
कई सालो बाद, जब तुम्हे मैंने याद किया ,
तूने वापस बाहे थाम ली, बेशर्त अपनी दिलगी मेरे नाम की!
तेरी एक मुस्कान ने ही, आधे दर्द को पी लिया!
फिर हुई पुरानी बताते, वो खीसे वो इरादे,
मैंने जब – जब खुद को तनहा , बेबस या बेसहारा पाया !
मेरे दोस्त तूने मुझे को अपनाया,
जो तेरा साथ हो तो मैं दो वकत के लिए ही सही , फिर से बच्चा बन जाऊंगा !!
लौट आएगा बचपन, और हर गम भूल जाऊंगा !
तेरे कंधे पर सर रखकर , मैं खुद को दुबारा पाउँगा !!
तू वो चिराग है, जिसमे जल कर,
मैं तेरी रौशनी से  रौशन होता जाऊंगा !!!!

अदिति

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